*गया से अमरेंद्र कुमार की रिपोर्ट *
कहते हैं खूबसूरत होना हर कोई चाहता है. चाहे महिला हो या पुरुष. पर, कई बार यही खूबसूरती किसी-किसी महिला के लिए जी का जंजाल बन जाती है. आपने अब तक मोनालिसा से लेकर क्लियोपैट्रा तक की खूबसूरती की कहानी सुनी होगी. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला की खूबसूरती की कहानी बताएंगे, जिनका ताल्लुक बिहार से है. इस महिला की खूबसूरती के दीवाने दुश्मन देश के राजा तक भी हुआ करते थे.
यही कारण है कि जब कभी दुश्मन देश के राजा इस खूबसूरत महिला से मिलते थे, तो वे अपना वेश बदलकर जाते थे. जी हां, हम बात कर रहे हैं वैशाली की नगरवधू आम्रपाली की, जो बाद में बौद्ध भिक्षुणी बन गई थीं।।..इतिहास के जानकार बताते हैं कि आम्रपाली की खूबसूरती ऐसी थी कि शब्दों में बयां करना कठिन है. उसकी खूबसूरती की चर्चा जब वैशाली के राजमहल तक पहुंची, तो राजा भी सोच में पड़ गए. उन्हें इस बात का डर सताने लगा कि कहीं इस खूबसूरत महिला के चक्कर में लोग आपस में ही लड़ाई-झगड़ा ना करने लग जाएं. इस कारण से काफी सोच विचार के बाद तत्कालीन राजा ने आम्रपाली को नगरवधू का दर्जा दे दिया.
नगरवधू बनने के बाद आम्रपाली को नगर के हर किसी से प्रेम करने की आजादी मिल गई थी. अजातशत्रु ने तो आम्रपाली के कारण ही लिच्छवी साम्राज्य पर हमला तक कर दिया था. आचार्य चतुर सेन ने भी अपनी पुस्तकों में आम्रपाली की सुंदरता का बखान किया था।
।..कहा जाता है की जन्म देने के बाद एक बच्ची को उसकी मां ने एक आम के पेड़ की नीचे छोड़ दिया था. उस बच्ची को लिच्छवी गणराज्य के एक दंपति ने पालना शुरू किया. चुकी बच्ची आम के पेड़ के नीचे मिली थी, इस कारण से उसका नाम आम्रपाली रख दिया गया.
आम्रपाली को नगर वधू बना देने से नगर के लोग तो खुश हो गए, लेकिन वह अपनी ही खूबसूरती का शिकार हो गई।।..इतिहासकार बताते हैं कि आम्रपाली के लिए तब के लिच्छवी राजा ने उसके घर से अपने रंगमहल तक एक सुरंग बनवा दिया था. वे कहते हैं कि भगवान बुद्ध का जब वैशाली आगमन हुआ था तो आम्रपाली ने भी उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की थी.
इस बात की जानकारी लेकर जब भगवान बुद्ध के अनन्य भक्त आनंद उनके पास गए, तो बुद्ध ने आनंद से कहा कि जब आम्रपाली उनसे मिलने के लिए आए तो सभी शिष्यों को अपनी आंखें बंद कर लेने के लिए कह देना…उसके बाद जो हुआ उसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे ……….. इस बात से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आम्रपाली कितनी सुंदर रही होगी.
संभवतः भगवान बुद्ध को भी इस बात की चिंता होने लगी थी कि आम्रपाली को देखकर कहीं उनके शिष्यों का मन भी विचलित ना हो जाए।।…जहां बड़े-बड़े व्यापारी, राजकुमार आम्रपाली पर मोहित हो गए थे वहीं आम्रपाली एक बौद्ध भिक्षु पर मोहित हो गईं.
आम्रपाली ने बौद्ध भिक्षु को ना केवल खाने पर आमंत्रित किया बल्कि 4 महीने के प्रवास के लिए भी अनुरोध किया. बौद्ध भिक्षु ने उत्तर दिया कि वह अपने गुरू बुद्ध की आज्ञा के बाद ही ऐसा कर सकते हैं।
।..बुद्ध ने सबको हैरानी में डालते हुए बौद्ध भिक्षु को इसकी अनुमति दे दी. 4 महीने बाद आम्रपाली बौद्ध भिक्षु के साथ आई और बुद्ध के चरणों में गिर गई. आम्रपाली ने जो कहा, उसे सुनकर सब हैरान रह गए।।..आम्रपाली ने कहा, मैं आपके बौद्ध भिक्षु को मोहित नहीं कर पाई लेकिन उनकी आध्यात्मिकता ने मुझे उन्हीं की राह पर चलने को विवश कर दिया है।।..